मुंबई। साहित्यिक संस्था “शब्दार्थ” की ४६ वीं मासिक काव्यगोष्ठी १४ सितंबर २०२५ को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ,अमर ज्योति विद्यालय भाईन्दर में संपन्न हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो.अंजनी कुमार द्विवेदी “अनमोल” जी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में “काव्यसृजन परिवार” के श्रीधर मिश्र ने और विशेष अतिथि के रुप में वाचस्पति तिवारी तथा शब्दार्थ के संस्थापक अध्यक्ष वैद्य श्री बी बी चौबे जी की मंच पर गरिमामयी उपस्थित रही। कार्यक्रम का सूत्र संचालन बहुत ही बेहतरीन ढंग से विनोद कुमार मिश्र जी ने किया। सर्वप्रथम सभी अतिथियों ने मिलकर माता सरस्वती का पूजन-अर्चन किया तदुपरांत संस्था सचिव किरण बी चौबे ने बहुत ही शानदार सरस्वती वंदना प्रस्तुत की, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर आयोजित इस काव्यगोष्ठी की शुरुआत वाचस्पति तिवारी ने की। उन्होंने बहुत ही शानदार और स्वरचित नवीनतम छंद एवं मुक्तक पढ़कर कार्यक्रम की शानदार शुरुआत की। आज शब्दार्थ मंच पर तिवारी जी ने पहली बार एक कवि के रूप में अपनी प्रस्तुति दी। यह एक कवि के रूप में उनके जीवन की पहली काव्य प्रस्तुति थी। काव्यजीवन की नई शुरुआत के लिए गोष्ठी में उपस्थित सभी सदस्यों ने उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। उपस्थित साहित्यकारों में हिंदी दिवस के परिचर्चा में प्रमुख वक्ता के रूप में श्री ओमप्रकाश तिवारी ने हिंदी की लिपियों पर और राजभाषा हिंदी के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी, तथा अपने विचार रखे। इस परिचर्चा में सभी ने अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन बड़े अच्छे ढंग से किया, जो कि काफ़ी सराहनीय रही। जिस पर मंच पर उपस्थित मान्यवरों ने उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस विशेष काव्य गोष्ठी में शंकर केहरी द्वारा ‘अश्वमेघ एक दिन में नहीं होगा’, रामकृपाल उपाध्याय ‘सबका , लोगों का उत्साह बढ़ाए, महाराष्ट्र गजानन आए’, डॉ. मृदुला तिवारी महक का ‘हिंदी चांदी है,हिंदी सोना है’ उपेन्द्र पाण्डेय जी की ग़ज़ल ‘यूँ सरे आम से जो, कहा नहीं होता’ , किरण बी चौबे द्वारा ‘आओ हिंदी दिवस मनाएं”, ओमप्रकाश तिवारी जी के गीत ‘मैं जिह्वा पर अंगार लिए फिरता हूॅं’। विनोद मिश्र ने ‘कोटि-कोटि भारत की संतानों हिंदी का सम्मान करों ‘, श्रीधर मिश्र की ‘हम हिंदी के भाषा-भाषी , उत्थान के इसके अभिलाषी’, के मधुर गीतों के माध्यम से हिंदी दिवस के गोष्ठी के कार्यक्रम में काव्यपाठ कर अपनी अपनी बारी पर हर कवियों ने समां बांध दिया। पूरा वातावरण तालियों की गूंज के साथ गूँजने लगा। लोगो नें हिंदी दिवस की गोष्ठी का भरपूर आनंद लिया। कार्यक्रम के संस्थापक वैद्य बी बी चौबे ने ‘हिंदी के है भक्त करोड़ों, जितना चाहो इसमें जोड़ों’ , कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.अंजनी कुमार द्विवेदी जी ने ‘पेड़ बगिया का बनकर फलो राम सा’, ‘मनमंदिर में बजती हो , बिस्मिल्लाह की शहनाई सी’, ‘हिंद देश की शान है हिंदी, हम सब का अभिमान है हिंदी’ ने अपनी अनमोल रचनाएँ प्रस्तुत की तथा संपूर्ण कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए सबका हृदय से आभार व्यक्त किया। अंत में संस्था की तरफ से सभी मान्यवरों व कवियों का आभार प्रदर्शन किरण बी चौबे अविरत ने किया। हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित यह वैचारिक परिचर्चा और काव्यगोष्ठी पूरी तरह से सफल रही। अंत में राष्ट्रगान के साथ इस शानदार कार्यक्रम का समापन हुआ।
