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1.33 करोड़ रुपए नकदी जब्त, मिलें बेहिसाब संपति के दस्तावेज
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प्रति वर्ग फुट रिश्वत का रेट, कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद करने का जाल
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जांच के जद में अभी और आयेंगे कई अधिकारी, आर्किटेक्ट्स
वसई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्पष्ट किया है कि वसई विरार शहर में निर्माण घोटाले की चल रही जांच में तत्कालीन शहर आयुक्त अनिल कुमार पवार सीधे तौर पर शामिल हैं। ईडी ने शिकायत दर्ज की है कि निर्माण की अनुमति देते समय पूर्व आयुक्त पवार और तत्कालीन नगर रचना विभाग में उप निदेशक वाय एस रेड्डी ने प्रति वर्ग फुट के हिसाब से कीमत तय की थी और इसके पीछे वीवीसीएमसी के कुछ इंजीनियर, आर्किटेक्ट, सीए और दलाल काम कर रहे थे। ईडी ने कहा है कि पवार के आवास से 1.33 करोड़ रुपये की नकदी मिली है, लेकिन इससे कहीं अधिक बड़ी बेहिसाबी संपत्ति के मामले में जांच चल रही है।
पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज
इस संबंध में मीरा–भायंदर पुलिस आयुक्तालय के अंतर्गत आने वाले पुलिस स्टेशन में प्रवर्तन निदेशालय के माध्यम से शिकायत दर्ज की गई है। प्राथमिकी के अनुसार, इस संबंध में शहर के कुछ बिल्डरों, स्थानीय गुंडे और अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वसई–विरार शहर महानगरपालिका क्षेत्र में 2009 से अब तक निर्मित अवैध आवासीय और व्यावसायिक इमारतों की जांच का एक हिस्सा है।
पवार – रेड्डी का वसूली रेट
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वीवीसीएमसी के अधिकारी, कमिश्नर, नगर रचना विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, सीए और कुछ दलाल मिलकर इस पूरे घोटाले को अंजाम दे रहे हैं। इस मामले में अनिल कुमार पवार की वसूली का रेट भी तय था। कमिश्नर को निर्माण परियोजना के कुल क्षेत्रफल पर 20 से 25 रुपये प्रति वर्ग फुट मिलते थे। वीवीसीएमसी के विवादास्पद नगर रचना विभाग के उप निदेशक वाई.एस. रेड्डी को 10 रुपये प्रति वर्ग फुट की रिश्वत मिलती थी।
रिश्तेदार-बेनामी संपत्ति
प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि अनिल पवार ने अपने रिश्तेदारों और अज्ञात व्यक्तियों के नाम पर कई कंपनियां बनाई थीं। इन कंपनियों का इस्तेमाल रिश्वत से प्राप्त धन को सफेद करने के लिए किया जाता था। ये कंपनिया मुख्य रूप से निर्माण, पुनर्विकास और गोदाम निर्माण जैसे उद्योगों में लगी हुई थी ।
आर्किटेक्ट-सीए से घनिष्ठ संबंध
ईडी द्वारा की गई छापेमारी के दौरान ज़ब्त किए गए डिजिटल उपकरणों से पता चला है कि मनपा के अधिकारियों के कुछ आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) से घनिष्ठ संबंध थे। इसके ज़रिए इस क्षेत्र में काले धन को सफेद करने और भ्रष्टाचार का एक जाल बिछा हुआ था। निर्माण परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए कमिश्नर और संबंधित अधिकारियों को एक निश्चित रकम देनी पड़ती थी। इस बीच, बताया जा रहा है कि इस मामले में मनपा के कुछ अधिकारियों और आर्किटेक्ट्स की भी जांच की जा रही है।
आवास समेत 12 जगहों पर छापेमारी
नालासोपारा में 41 अनधिकृत इमारतों के घोटाले के बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वसई विरार शहर में छापेमारी शुरू कर दी है। शुरुआत में, प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत भू–माफियाओं के साथ शहरी नियोजन के तत्कालीन उप निदेशक वाईएस रेड्डी के हैदराबाद स्थित घर पर छापेमारी की थी। इसमें रेड्डी के पास से करोड़ों रुपये जब्त किए गए थे। इसके बाद, मंगलवार को ईडी ने इस मामले में वसई विरार शहर मनपा के पूर्व आयुक्त अनिल कुमार पवार के आवास समेत 12 जगहों पर छापेमारी की। इसमें 1 करोड़ 33 लाख रुपये और दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
अबतक भारी मात्रा में संपत्ति जब्त
ईडी ने पिछले छापेमारी से अबतक कुल 8.94 करोड़ रुपए नकद प्राप्त किया है। वहीं 23.25 करोड़ रुपए मूल्य के हीरे और सोने के आभूषण प्राप्त किए है। इसके साथ ही 13.86 करोड़ मूल्य के बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड और शेयर फ्रीज किए है।
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